आवास के प्रकार और आवास की आवश्यकता (Environment and Pedagogy )
आवास के प्रकार और आवास की आवश्यकता
(Environment and Pedagogy )
दोस्तों CTET, UPTET, MPTET जैसी विभिन्न TET Exam में पर्यावरण और शिक्षा शास्त्र (Environment and Pedagogy ) में आवास पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं इसलिए हम इस लेख में आपके लिए NCERT पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं।
आवास- जिस जगह पर जीव निवास करते हैं उस जगह को उनका आवास कहा जाता है। प्रायः अलग-अलग जीवों का आश्रय अलग-अलग होता है। और कुछ जीव ऐसे भी होते हैं जो अपना आश्रय नहीं बनाते जैसे- बन्दर।
आवास की आवश्यकताएं -
- शत्रु चोर डाकू एवं विभिन्न जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु घर की आवश्यकता होती है।
- जरूरत के समय विश्राम करने हेतु घर बेहद आवश्यक होता है।
- विभिन्न बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने और उनका संग्रहण करने के लिए घर की आवश्यकता होती है।
- इसके अलावा मनुष्य की दैनिक जीवन की विभिन्न क्रियाओं के संचालन हेतु भी आवास की आवश्यकता होती है।
- आवास प्राकृतिक आपदाओं या विभिन्न मौसमों में होने वाली परेशानियों जैसे सर्दी, गर्मी और बरसात से हमारी रक्षा करते हैं।
आपने मनुष्य के विभिन्न प्रकार के आवास देखे होंगे। इनमें किसी का आवास बहुत सुंदर होता है तो किसी का मजबूत या किसी का कच्चा मकान होता है इसके अलावा आपने छोटे बड़े सभी तरह के घर देखे होंगे। प्रकृति के सभी प्राणी अपनी सुरक्षा को देखते हुए और अपने वातावरण के अनुसार अपने अपने घरों का निर्माण करते हैं, जिस कारण हमें आवासों में भिन्नता दिखाई देती है आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ घरों (Houses) के प्रकारों के बारे में-
आवास के प्रकार (Types of shelters)
इग्लू :- ये एस्किमो जनजाति के आवास होते हैं जो सामान्यता उत्तरी अमेरिका में देखने मिलते हैं। इन आवासों को एस्किमो जनजाति द्वारा जानवरों की हड्डी खाल तथा बर्फ के टुकड़ों का उपयोग कर बनाया जाता है इनकी आकृति गुम्बदनुमा होती है इनकी विशेषता ठंड से बचाना होती है।
युर्त :- यह चमड़े के बने आवास होते हैं जिनमें खिरगीज जाति निवास करती है।
अर्स :- यह लंबे और बड़े ढोल की आकृति वाले आवास होते हैं जो भारत की नीलगिरी की पहाड़ियों में निवास करने वाली आदिम जाति द्वारा बनाए जाते हैं।
बुशमैन जाती के आवास :- कालाहारी मरुस्थल की आखेटक जनजाति अपने स्थाई और पक्के मकान नहीं बनाती ये लोग मौसम की कठोरता और विभिन्न जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा के लिए गुफाओं में या टेंटों में रहते हैं।
पिग्मी जाति के आवास :- पिग्मी जान जाती के लोग भी अपने साथी निवास नही बनाते ये शिकार पर निर्भर रहते हैं ये जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा हेतु पेड़ों पर अपने आवास बनाते हैं तथा इनके आवास मधुमक्खी के छत्ते नुमा गोल होते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में वातावरण के अनुकूल बनाए जाने वाले घर के प्रकार (Types Of Houses) -
मिट्टी के घर (Home) - मिट्टी के घर प्रायः आपको गाँवों में देखने मिलते हैं इनके अलावा जहाँ गर्मी ज्यादा पड़ती है उन स्थानों पर भी मिट्टी के घर पाये जाते हैं।
जैसे - राजस्थान के घरों की दीवारें मोटी बनाई जाती हैं ताकि गर्मी अन्दर न आ सके। इसी के साथ कीड़े मकोड़ो से सुरक्षा के लिए इन घरों की छत में नीम या कीकर की लकड़ी का प्रयोग किया
जाता है तथा इनके फर्श को गोबर से लीपा जाता है।
बाँस/लकड़ी के घर- आप इस तरह के घर उन क्षेत्रों में देख सकते हैं जहां बारिश बहुत ज्यादा होती है ये जमीन से 10-12 फुट ऊँचे बाँस के मजबूत खम्भों पर बनाये जाते हैं जिससे बाढ़ आने पर किसी प्रकार का नुकसान न हो। भारत के असम में इस तरह के घर बनाए जाते हैं क्योंकि यहां बारिश बहुत होती है।
पत्थर या लकड़ी के घर- जिन पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है और बहुत बर्फ भी पड़ती है वहां इस प्रकार के घर बनाये जाते हैं। इन इन घरों की छत ढलवाँ होती है ताकि बारिश का पानी या बर्फ नीचे गिर जाये कहीं-कहीं छत समतल भी होती है। पत्थरों के बने इन घरों पर चूने की पुताई की जाती है। ये घर दो मंजिला होते हैं। इस प्रकार के घर जम्मू-कश्मीर (लद्दाख), हिमाचल प्रदेश में पाये जाते हैं। लद्दाख के लोग निचले मंजिल पर जानवरों तथा जरूरत का सामान रखते है तथा पहली मंजिल पर खुद रहते है।
बर्फ का घर/इग्लू (Igloo)- यह बर्फीले क्षेत्रों में पाए जाते हैं इस तरह के घर बर्फ के टुकड़ों को जोड़कर बनाये जाते हैं। यह एस्किमों शिकारियों का अस्थाई निवास होता है। यह आकर में गुम्बदनुमा होते हैं और इसका प्रवेश द्वार बहुत छोटा होता है ताकि बर्फीली हवा अन्दर न जा सके।
हाउसबोट (houseboat)- हाउसबोट कश्मीर तथा केरल में पाए जाते हैं। ये लकड़ी के बने घर होते हैं जो हमेशा पानी में तैरते रहते हैं। इन घरों की छतों पर खूबसूरत नक्काशी देखने मिलती है जो पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है।
डोंगे- ये आवास कश्मीर में पाए जाते हैं जिनमें वहां के स्थानीय लोग निवास करते हैं ये नक्काशी रहित हाउसबोट होते हैं जिनमे अलग अलग कमरे होते हैं।
टेंट- ये लोगों का अस्थाई निवास है। ये टेंट कपड़ों या प्लास्टिक के बने होते हैं। लद्दाख के चांगपा जनजाति के लोग याक के बालों की
पट्टियों से टेंट बनाते हैं, जिसे रेबो कहते हैं।
हवेली/महल- इनका निर्माण राजा-महाराजा, या अमीर लोग करवाते थे। ये बहुत बड़े होते हैं जिनमें के सारे कमरे होते हैं इनमें पत्थरों और लकड़ियों का बहुत ज्यादा उपयोग होता है। इनकी छतों में, दीवारों पर, दरवाजों और खम्भों पर खूबसूरत नक्काशियाँ पाई जाती हैं।
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण (Important)
- पत्थर या लकड़ी से बने ढालू छत वाले घर। - मनाली
- मिट्टी के घर जिनकी छते कटीली झाड़ियों से बनी होती हैं। - राजस्थान
- बाँस के खम्भों पर बने घर - असम
- पत्थर के बने घर फर्श और छते लकड़ी के बने होते हैं। - लद्दाख
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