Header Ads

Header ADS

वृद्धि और विकास में अंतर एवं विकास की विभिन्न अवस्थाएं



वृद्धि और विकास (Growth And Development)

अभिवृद्धि या वृद्धि का अर्थ :-

वृद्धि का अर्थ शारीरिक वृद्धि से है, जैसे जैसे बालक बड़े होते है वैस वैसे उनके शारिरिक अंग भी बढ़ते जाते है । साधारण तौर पर वृद्धि का अर्थ बच्चे के शरीर के विभिन्न अंगों का विकास एवं अंगों की कार्य करने की क्षमता से लिया जाता है ।

अभिवृद्धि की परिभाषा

फ्रेंक के अनुसार :-
"अभिवृद्धि से तात्पर्य कोशिकाओं में होने वाली वृद्धि से होता है, जैसे लंबाई और भार में वृद्धि होना।"

विकास का अर्थ :-

विकास एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर जीवनपर्यन्त तक अविराम चलती रहती है। विकास केवल शारीरिक वृद्धि तक सीमित नही है वरन् इसके अन्तर्गत शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक परिवर्तन सम्मिलित रहते हैं, जो गर्भकाल से लेकर मृत्युपर्यन्त तक निरन्तर प्राणी में प्रकट होते रहते हैं। 

विकास की परिभाषा

हरलॉक के अनुसार-
"विकास केवल अभिवृद्धि तक ही सीमित नहीं है वरन् वह व्यवस्थित तथा समनुगत परिवर्तन है जिसमें कि प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएँ एवं योग्यताएँ प्रकट होती हैं।"

वृद्धि एवं विकास में अन्तर (Difference Between Growth And Development) :-

  1. वृद्धि का अर्थ है शारीरिक परिवर्तन से है, जबकि विकास के अन्तर्गत शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक परिवर्तन सम्मिलित रहते हैं
  2. वृद्धि संकुचित है और वृद्धि की आधारण विकास की अवधारणा का ही एक भाग है, जबकि    विकास वृद्धि की अपेक्षा अधिक व्यापक है।
  3. वृद्धि का तात्पर्य मात्रक परिवर्तनों को प्रकट करती है, जबकि विकास मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों परिवर्तनों को प्रकट करता है।
  4. अभिवृद्धि क्रमिक और श्रृंखला बद्ध होती है जबकि विकास का कोई क्रम नही होता।
  5. वृद्धि धनात्मक होती है, जबकि विकास धनात्मक और ऋणात्मक दोनों होता है।
  6. वृद्धि अनुवांशिक प्रभाव के कारण होती है, जबकि विकास पर वातावरण का प्रभाव भी पड़ता है।
      

विकास की विभिन्न अवस्थाएं :- 

विकास की प्रक्रिया  जीवन पर्यन्त चलती है, विभिन्न वैज्ञानिकों ने विकास की अलग-अलग अवस्थाएं बताई हैं जो निम्न प्रकार हैं -

हरलॉक के अनुसार विकास की अवस्थाएं :-

गर्भावस्था            -       गर्भधारण से जन्म तक  
शैशवावस्था          -      जन्म से 2 सप्ताह तक
बचपनावस्था         -     तीसरे सप्ताह से 2 वर्ष
पूर्व बाल्यावस्था      -     तीसरे वर्ष से 6 वर्ष
उत्तर बाल्यावस्था    -    सातवें वर्ष से 12 वर्ष
वयः संधि अवस्था    -    12 वर्ष से 14 वर्ष
पूर्व किशोरावस्था     -   13 वर्ष से 17 तक
उत्तर किशोरावस्था   -  18 वर्ष से 21 तक
प्रौढ़ अवस्था          -     21 वर्ष से 40 तक
 मध्य अवस्था         -     41 वर्ष से 60 तक
वृद्ध अवस्था          -      60 वर्ष के बाद

नोट :- वयः संधि अवस्था बाल्यावस्था और किशोरावस्था को मिलाने में सेतु का कार्य करती है।

रॉस महोदय के अनुसार विकास की अवस्थाएं :-

 1 शैशवावस्था           - 1 से 3 वर्ष
 2 पूर्व बाल्यावस्था      - 3 से 6 वर्ष
 3 उत्तर बाल्यावस्था    - 6 से 12 वर्ष  
 4 किशोरावस्था         - 12 से 18वर्ष

दोस्तों यदि आप UPTET, UTET, REET, HTET, RTET, PTET, MPTET, CHTET, BTET, JTET, SAMVIDA SHIKSHAK में से किसी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं तो नीचे दी गईं लेखो का भी अध्यन अवश्य करें.




No comments

Theme images by mskowronek. Powered by Blogger.