अधिगम क्या है | अर्थ, परिभाषा एवं प्रभावित करने वाले कारक
अधिगम क्या है, अर्थ, परिभाषा एवं प्रभावित करने वाले कारक
अधिगम विषय CTET, UPTET आदि TET परीक्षाओं की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है इसलिए आपको इसके बारे में विस्तृत अध्ययन करने की आवश्यकता है। इसलिए इस लेख में हम आपके लिए अधिगम से जुड़ी आवश्यक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
अधिगम का अर्थ ( Meaning of learning) :-
अधिगम का अर्थ है सीखना। अधिगम एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया जन्म के उपरांत ही प्रारंभ हो जाती है मनुष्य जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है और अपने वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। इस प्रक्रिया को मनोविज्ञान में सीखना कहते हैं। किसी व्यक्ति का विकास उसकी सीखने की शक्ति पर निर्भर होता है।
उदाहरणार्थ - जब छोटे बालक के सामने प्रारंभ में जलता हुआ दीपक ले जय जाता है तो वह दीपक की लौ को पकड़ लेता है और इस प्रयास में उसका हाथ जलने लगता है। लेकिन जब पुनः कभी उसके सामने दीपक लाया जाता है तो वह अपने पूर्व अनुभव के आधार पर लौ पकड़ता नही है बल्कि उससे दूर हो जाता है क्योंकि अनुभव के आधार पर बालक के स्वाभाविक व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है।
सामान्य अर्थ में व्यव्हार में परिवर्तन को अधिगम कहा जाता है। परंतु व्यवहार में हुए सभी परिवर्तनों को अधिगम नही कहा जाता है। अधिगम या प्रशिक्षण के ट्रांसफर का सामान्य अर्थ -
किसी एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान ,आदतों ,दृष्टिकोण अथवा अन्य अनुभवों का किसी अन्य परिस्थिति में अनुप्रयोग करना ही अधिगम है।
अधिगम की परिभाषायें (Defination Of Learning)
स्किनर के अनुसार
सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया हैं।
वुडवर्थ के अनुसार-
नवीन ज्ञान और नविन प्रतिक्रियो को प्राप्त करने की प्रक्रिया अधिगम प्रक्रिया है।
क्रो एंड क्रो के अनुसार
सीखना ,आदतों ,ज्ञान व अभिवृत्तियों का अर्जन है।
गेट्स के अनुसार
अनुभवो प्रशिक्षण द्वारा अपने व्यवहारों का संसोधन व परिमार्जन करना ही अधिगम है।
जे.पी.गिल्फोर्ड के अनुसार
व्यवहार के कारण व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
हिलगार्ड के अनुसार
अधिगम वह प्रिक्रिया है जिसमे किसी नई क्रिया का जन्म होता है या सामने आयी हुई परिस्थिति के अनुकूल उसमे उचित परिवर्तन किया जाता है।
क्रांबैक के अनुसार
अधिगंम अनुभव के परिणामस्वरुप व्यवहार में परिवर्तन द्वारा व्यक्त होता है।
गार्डनर मर्फी के अनुसार
अधिगंम शब्द में वातावरण संबंधी आवश्यकताओ की पूर्ति के लिएव्यवहार में सभी परिवर्तन सम्मिलित होते है।
अधिगम सम्बन्धी परिभाषाओं के आधार पर निम्न महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आते हैं-
- अधिगम व्यवहार का परिमार्जन है।
- व्यवहार में परिवर्तन पूर्व अनुभवों पर आधारित होता है।
- अधिगम की प्रक्रिया द्वारा व्यवहार में परिवर्तन होता है।
- अधिगम के द्वारा व्यवहार में होने वाला परिवर्तन बाह्य रूप से दिखाई दे भी सकता है या नहीं भी।
- व्यवहार में होने वाले परिवर्तन का प्रभाव कुछ समय तक बना रहता है।
- अधिगम के द्वारा शिक्षार्थी के ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों का विकास होता है।
दोस्तों आप अब तक अधिगम के विषय में काफी कुछ जान चुके हैं लेकिन अधिगम का क्षेत्र व्यापक है और इस विषय पर परीक्षा में हमेशा से पूर्व परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते रहे हैं इसी लिए हम इसका विस्तृत अध्ययन करेंगे। आइये अब अधिगम की विशेषताओं को जानते हैं।
अधिगंम की विशेषताये (Characteristic of learning)
- अधिगम व्यवहार में परिवर्तन है।
- अधिगंम उद्देश्यपूर्ण एवं लक्ष्य निर्देशित होता है।
- अर्जित व्यवहार की प्रकृति अपेक्षाकृत स्थायी होती है।
- अधिगंम एक यूनिवर्सल या सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
- अधिगम वातावरण और क्रियाशीलता का परिणाम है।
- अधिगंम जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है।
- अधिगम हेतु एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थिति में स्थानान्तरण होता है।
- अधिगम के द्वारा व्यवहार में परिवर्तन लाये जा सकते है।
- अधिगंम का संबंद अनुभवो की नवीन व्यवस्था से होता है।
- अधिगंम समायोजन में सहायक है।
जैसा कि आप जानते हैं अधिगम एक व्यापक और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त तक चलने वाली प्रक्रिया स्वतंत्र नहीं है बल्कि इस पर विभिन्न तत्वों का प्रभाव पड़ता है जो इस पर अपना सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में प्रभाव डालते हैं। आइए जानते हैं अधिगम को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक कौन-कौन से हैं।
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकः –
- परिवार का वातावरण
- इच्छा शक्ति
- बालकों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
- परिपक्वता
- सीखने का समय व थकान
- अभिप्रेरणा
- अध्यापक की भूमिका
- सीखने की विधि
- सम्पूर्ण परिस्थिति
- वंशानुक्रम
- बुद्धि
- वातावरण का प्रभाव
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