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वंशानुक्रम एवं वातावरण, वंशानुक्रम के नियम



वंशानुक्रम एवं वातावरण (Heredity And Environment)

महत्वपूर्ण कथन और परिभाषाएं

वुडवर्थ के अनुसार 
वंशानुक्रम में वे सभी बातें आ जाती हैं जो जीवन का आरंभ करते समय व्यक्ति में उपस्थित थी। यह जन्म के समय नहीं वरन गर्भाधान के समय जन्म से लगभग 9 माह पूर्व व्यक्ति में पैदा होती हैं।

जेम्स ड्रेवर के अनुसार
माता-पिता की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का संतानों में संक्रमित होना ही वंशानुक्रम है।

बी एन झा के अनुसार
वंशानुक्रम, व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।

वंशानुक्रम के नियम (Laws of Heredity)

वंशानुक्रम मनोवैज्ञानिकों तथा जीव वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत रोचक तथा रहस्यमय रहा है, इसलिए वंशानुक्रम के संबंध में कई महत्वपूर्ण नियम या सिद्धांत सामने निकल कर आते हैं। वंशानुक्रम के संबंध में कुछ सर्वाधिक प्रचलित सिद्धांत निम्नलिखित हैं -
  1. बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत 
  2. समानता का नियम
  3. विभिन्नता का नियम 
  4. प्रत्यागमन का नियम 
  5. अर्जित गुणों के संक्रमण का नियम 
  6. मेण्डल का नियम

  1. बीज कोष की निरंतरता का नियम (Law of continuity of germ plasm)

इस सिद्धांत के प्रतिपादक बीज मैन हैं। वंशानुक्रम के इस सिद्धांत के अनुसार बालक को जन्म देने वाला बीज कोष कभी नष्ट नहीं होता, यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। जो बीच कोष बालक को अपने माता पिता से मिलता है वे उसे अगली पीढ़ी को हस्तांतरित कर देता है।

  1. समानता का नियम (Law of resemblance)

इस नियम के अनुसार जैसे माता-पिता होते हैं वैसी ही उनकी संतान होती है। जैसे बुद्धिमान माता-पिता के बच्चे बुद्धिमान तथा साधारण माता-पिता के बच्चे साधारण बुद्धि वाले होते हैं।

  1. विभिन्नता का नियम (Law of variation )

यह सिद्धांत बताता है कि एक ही माता-पिता की संतान अलग अलग हो सकती है इनमें रूप रंग बुद्धि और स्वभाव के आधार पर पर्याप्त अंतर पाया जाता है। इसके अलावा बालक में अपने माता-पिता से भी शारीरिक और मानसिक भिन्नता पाई जाती है।

  1. प्रत्यागमन का नियम (Law of Regression)

इस नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता के विशिष्ट गुणों को त्याग कर सामान्य गुणों को ग्रहण करता है तथा बालक में अपने माता-पिता के विपरीत गुण पाए जाते हैं यही कारण है की महान व्यक्तियों की संतान महान नहीं होती।

  1. अर्चित गुणों के संक्रमण का नियम (Law of transmission of acquired traits)

इस नियम के अनुसार माता-पिता द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए जाने वाले गुण उनकी संतानों को प्राप्त नहीं होते। लेकिन लेमार्क ने इस नियम को अस्वीकार करते हुए कहां है, व्यक्तियों द्वारा अपने जीवन में जो कुछ भी अर्जित किया जाता है वह उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाली संतान में भी विद्यमान होता है।

  1. मेंडल का नियम (Mendel’s law)

इस नियम को मेण्डल नामक पादरी ने प्रतिपादित किया था, उसने अपने बगीचे में बड़ी और छोटी मटर बराबर संख्या में मिलाकर बायीं और उन पर अध्ययन किया। इसके अलावा मेंडल ने चूहों पर भी यह प्रयोग किया उसने सफ़ेद और काले चूहों को साथ-साथ रखा इनसे जो चूहे उत्पन्न हुए वह काले थे। लेकिन जब इन काले चूहों को साथ रखा गया तो इनसे प्राप्त चूहे में काले और सफेद रंग के थे।

मेण्डल के प्रयोगों से निम्न निष्कर्ष प्राप्त होते हैं-
  • मेण्डल का नियम प्रत्यागमन को स्पष्ट करता है।
  • गुणसूत्र की अभिव्यक्ति संयोग पर निर्भर करती है।
  • बालक में माता-पिता की ओर से एक-एक गुणसूत्र आता है।
  • जागृत गुणसूत्र अभिव्यक्ति करता है, सुषुप्त नहीं ।
  • एक ही प्रकार के गुणसूत्र अपने ही प्रकार की अभिव्यक्ति करते हैं।
  • कालान्तर में यह अनुपात 1:2, 2:4, 1:2, 1:2 होता जाता है।


वातावरण की परिभाषाएं (Definition of environment)


रॉस के अनुसार
वातावरण वह बाहरी शक्ति है जो हमें प्रभावित करती है

वुडवर्ड के अनुसार 
वातावरण में वे सब बाह्य तत्व आ जाते हैं। जिन्होंने व्यक्ति को जीवन आरंभ करने के समय से प्रभावित किया है।

जिस्बर्ट के अनुसार वातावरण की परिभाषा
वातावरण वह हर वस्तु है जो किसी अन्य वस्तु को घेरे हुए और उस पर सीधे अपना प्रभाव डालती है
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