थार्नडाइक के नियम - मुख्य और गौण | अधिगम के नियम
थार्नडाइक के अधिगम के नियम
Thorndike Ke Adhigam Ke Niyam
ई. एल. थार्नडाइक (Edward Lee Thorndike) अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने मनोविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने अपने अध्ययनों से सीखने के नियम दिए जिनका शिक्षा मनोविज्ञान में बहुत महत्व है। थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित नियमों को दो भागों में विभाजित किया गया है।
(क) मुख्य नियम (Primary Laws)
(ब) गौण नियम (Secondary Laws)
(क) मुख्य नियम (Primary Laws) :- थार्नडाइक के मुख्य नियमों के अंतर्गत 3 नियम आते हैं -
1. तत्परता का नियम
2. अभ्यास का नियम
(i) उपयोग का नियम
(ii) अनुप्रयोग का नियम
3. प्रभाव का नियम
(ब) गौण नियम (Secondary Laws) :- थार्नडाइक के गौण नियमों के अंतर्गत 5 नियम आते हैं -
1. बहु-अनुक्रिया का नियम
2. मानसिक स्थिति का नियम
3. आंशिक क्रिया का नियम
4. समानता का नियम
5. साहचर्य-परिर्वतन का नियम
मुख्य नियम
एडवर्ड थार्नडाइक के मुख्य और गौण नियमों को विस्तार से जानना भी जरूरी है क्योंकि इनका प्रयोग शिक्षा मनोविज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों में किया गया है इसीलिए परीक्षा की दृष्टि से भी थार्नडाइक के अधिगम के सिद्धान्तों को जानना जरूरी हो जाता है। आइए इन्हें विस्तार से जानते हैं।
थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम -
1. तत्परता का नियम - इस नियम के अनुसार जब व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए पहले से तैयार रहता है तो वह कार्य उसे करने में अच्छा लगता है और वह उसे शीघ्र ही सीख लेता है। इसके विपरीत जब व्यक्ति की सीखने की इच्छा नहीं होती है या जब वह कार्य को करने के लिए तैयार नहीं रहता तो वह उस उस कार्य को नही सीख पाता।
2. अभ्यास का नियम - सीखने का यह नियम बताता है कि व्यक्ति जिस क्रिया को बार-बार करता है उसे शीघ्र ही सीख जाता है लेकिन इसके विपरीत अगर व्यक्ति किसी क्रिया को करना छोड़ देता है या बहुत समय तक नहीं करता तो उसे वह भूलने लगता है। जैसे‘- गणित के सवाल हल करना, टाइप करना, साइकिल चलाना आदि। इसे उपयोग तथा अनुप्रयोग का नियम भी कहते हैं।
3. प्रभाव का नियम - सीखने का ये नियम बताता है कि जीवन में जिस कार्य को करने पर व्यक्ति पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ता है या उसे अच्छा अनुभव मिलता है तो व्यक्ति उस कार्य को सीखने का ज्यादा प्रयत्न करता है एवं जिन कार्यों को करने पर व्यक्ति पर बुरा
प्रभाव पडता है तो वह उन्हें छोड़ देता है। इस नियम को सुख तथा दुःख या पुरस्कार तथा दण्ड का नियम भी कहा जाता है।
थार्नडाइक के सीखने के गौण नियम-
1. बहु अनुक्रिया का नियम - इस नियम के अनुसार जब व्यक्ति के सामने कोई नई समस्या आती है तो उसके समाधान के लिए वह विभिन्न प्प्रतिक्रियाएं करता है और।समस्या का हल ढूढने का प्रयत्न करता है। ये प्रतिक्रियायें वह तब तक करता रहता है जब तक समस्या का सही हल न खोज ले और उसकी समस्या सुलझ नहीं जाती। समस्या का समाधान होने से उसे संतोष मिलता है। थार्नडाइक का प्रयत्न एवं भूल द्वारा सीखने का सिद्धान्त इसी नियम पर आधारित है।
2. मानसिक स्थिति या मनोवृत्ति का नियम - इस नियम के अनुसार जब व्यक्ति सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है तो वह अपेक्षाकृत शीघ्रता से किसी कार्य को सीख लेता है। इसके विपरीत यदि व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है तो उस कार्य को वह सीख नहीं पाता।
3. आंशिक क्रिया का नियम - इस नियम के अनुसार व्यक्ति किसी समस्या के समाधान के लिए अनेक क्रियायें प्रयत्न एवं भूल के आधार पर करता है। वह अपनी अंर्तदृष्टि का उपयोग करता है और आंशिक क्रियाओं की सहायता से समस्या का हल ढूढ़ लेता है।
4. समानता का नियम - इस नियम के अनुसार जब व्यक्ति के सामने कोई समस्या आती है जो पूर्व परिस्थितियों से समानता रखती है तो व्यक्ति अपने पूर्व अनुभव का उपयोग करता है और उसके अनुभव स्वतः ही स्थानांतरित होकर सीखने में मदद करते हैं।
5. साहचर्य परिवर्तन का नियम - इस नियम के अनुसार व्यक्ति प्राप्त ज्ञान का उपयोग अन्य परिस्थिति में या सहचारी उद्दीपक वस्तु के प्रति भी करने लगता है। जैसे- भोजन सामग्री को देख कर कुत्ते के मुह से लार टपकरने लगती है। परन्तु कुछ समय के बाद भोजन के बर्तन को ही देख कर लार टपकने लगती है।
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