शिक्षण विधियाँ और उनके जनक | Shikshan Vidhiyan
शिक्षण विधियाँ और उनके जनक
(Shikshan Vidhiyan)
दोस्तों शिक्षक पात्रता परीक्षा में शिक्षण विधियों पर कोई ना कोई प्रश्न पूछा जाता है इसलिए एग्जाम की दृष्टि से शिक्षण प्रणाली को जानना जरूरी है और एक शिक्षक के रूप में आपका शिक्षण अधिक प्रभावशाली हो इसके लिए भी शिक्षक को शिक्षण पद्धतियों और शिक्षण सूत्रों का ज्ञान होना आवश्यक होता है। अतः आप भी इन शिक्षण कौशलों को ध्यान पूर्वक अवश्य पढ़ें।
आज हम आपको इस लेख में सभी शिक्षण विधियों और शिक्षण सूत्रों के विषय संक्षिप्त और परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं जिसकी मदद से आप बेहद कम समय में समस्त शिक्षण विधियों का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। आप हमारी वेबसाइट से समस्त शिक्षण विधियाँ पीडीएफ (Shikshan Vidhiyan pdf) के रूप में भी प्राप्त कर सकते हैं।
जन्मदाता :- अमेरिकन शिक्षाशास्त्रिणी मिस हेलन पार्कहस्स्ट
विशेषताएं :-
समय सारणी नहीं।
हर विषय की प्रयोगशाला।
छात्र स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं।
जन्मदाता :- मूलाधार जॉन डीवी परन्तु प्रणाली को आगे बढ़ाने का कार्य विलियम हेड किलपैट्रिक
विशेषताएं
- परिस्थिति उत्पन्न करना
- बालक को नवीन शिक्षा देना
- स्वयं सामाजिक वातावरण को पूरा करता है।
जन्मदाता :- फ्रॉबेल / हेनरी काल्डवेल कुक
विशेषताएं
- पुस्तकीय ज्ञान का विरोध
- बाल-केन्द्रित प्रणाली
- खेल द्वारा शिक्षा
जन्मदाता :- माण्टेसरी
विशेषताएं
- मनोवैज्ञानिक प्रणाली
- व्यवहारिक उपकरणों व सभी इन्द्रियों के
- माध्यम से शिक्षा ।
जन्मदाता :- डा. ओविड ड्रेकोली
विशेषताएं
- जीवन के लिए जीवन द्वारा शिक्षा
- बालकों का विभाजन उनकी रुचि, क्षमता
- योग्यता के अनुसार।
जन्मदाता :- अमेरिका के डा. कार्लटन वाशबर्न
विशेषताएं
- बालक के व्यक्तित्व को प्रधानता
- पाठ्यक्रम विभाजन
- छात्र अपनी गति से सीखकर स्वयं अपनी परीक्षा लेता है।
जन्मदाता :- मोहनदास कर्मचंद गांधी
विशेषताएं
- सर्वागींण विकास पर बल
- अनिवार्य व निशुल्क शिक्षा
- हस्तकला पर आधारित मातृभाषा पर
जन्मदाता :- डब्ल्यू ए. बर्ट
विशेषताएं
- तीन प्रमुख बातों पर बल खेल, कार्य अध्ययन पर
प्रतिपादक :- प्रो. एच. ई. आर्मस्ट्रांग
विशेषताएं :-
- गणित विषय के लिए सबसे अधिक उपयोगी विधि है
- बालक खोजी के रूप में कार्य करता है
- छात्र को अपनी सूझबूझ द्वारा स्वयं समस्या का हल ढूंढना होता है
- अध्यापक केवल दिशा निर्देशन का कार्य करता है
प्रतिपादक :- अरस्तु / फ्रांसिस बेकन
विशेषताएं :-
- उदाहरण से नियम की ओर
- स्थूल से सूक्ष्म की ओर
- विशेष से सामान्य की ओर
- ज्ञात से अज्ञात की ओर
- मूर्त से अमूर्त की ओर
- प्रत्यक्ष से प्रमाण की ओर
प्रतिपादक :- अरस्तु
विशेषताएं :-
- नियम से उदाहरण की ओर
- सामान्य से विशिष्ट की ओर
- सूक्ष्म से स्थूल की ओर
- प्रमाण से प्रत्यक्ष
- अमूर्त से मूर्त की ओर
विशेषताएं :-
- अज्ञात से ज्ञात की ओर
- समस्या को छोटे छोटे भागों में बाटते हैं
विशेषताएं :-
- ज्ञात से अज्ञात की ओर
- तथ्यों को इकट्ठा कर समस्या का निष्कर्ष निकालते हैं।
विशेषताएं :-
- शिक्षक छात्रों के सामने समस्या रखता है।
- विद्यार्थी सीखे हुए ज्ञान, नियमों, सिद्धान्तों के आधार पर समस्या का हल खोजता है।
विशेषताएं :-
- पाठ्यसामग्री को सरल भाषा मे प्रस्तुत किया जाता है।
- छात्रों के मानसिक स्तर के अनुकूल भाषा का प्रयोग किया जाता है।
- परंपरागत शिक्षण विधि है जिसका उपयोग प्राचीनकाल से होता आ रहा है।
विशेषताएं :-
- विषय वस्तु को कहानी के माध्यम से बालकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
- बालकों के मानसिक स्तर का ध्यान रखा जाता है।
- छोटे बच्चों के लिए उपर्युक्त विधि है।
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